Wednesday, June 18, 2025
Google search engine
Homeराज्य समाचारउत्तराखण्डसूर्या ड्रोन टेक-2025: भारतीय सेना के साथ ‘शेरू’ को मैदान में देख...

सूर्या ड्रोन टेक-2025: भारतीय सेना के साथ ‘शेरू’ को मैदान में देख दुश्मन के छूट रहे पसीने, तस्वीरों में देखें

सूर्या ड्रोन टेक-2025: भारतीय सेना के साथ ‘शेरू’ को मैदान में देख दुश्मन के छूट रहे पसीने, तस्वीरों में देखें

रोबोटिक म्यूल यानी चलती रोबोटिक मशीन, जो किसी भी तापमान पर 24 घंटे भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है। यह एक हाईटेक रोबोट है, जो चल सकता है, दौड़ सकता है, मुड़ सकता है और कूद सकता है

भारतीय सेना की सेंट्रल कमांड व सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के सहयोग से सूर्या ड्रोन टेक-2025 का आयोजन किया गया। दो दिवसीय इस टेक का शुभारंभ मंगलवार को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि किया। टेक के पहले दिन आधुनिक तकनीक के जरिए भारत की रक्षा नवाचार की क्षमताओं का सशक्त प्रदर्शन किया गया।

इस दौरान भारतीय सेना के साथ शेरू (रोबोटिक म्यूल) को देख दुश्मन के पसीने छूट रहे हैं। रोबोटिक म्यूल यानी चलती रोबोटिक मशीन, जो किसी भी तापमान पर 24 घंटे भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है। यह एक हाईटेक रोबोट है, जो चल सकता है, दौड़ सकता है, मुड़ सकता है और कूद सकता है।

सूर्या ड्रोन टेक में पहुंचे शेरू को देख हर कोई उत्साहित नजर आया। शेरू को ऑपरेट करने वाले सेना के जवान गौरव नेगी ने बताया कि एक बार चार्ज करने पर शेरू तीन घंटे लगातार काम कर सकता है। शेरू बंदूक व अन्य भार उठाने के साथ सर्विलांस का काम भी बखूबी करता है

एक रोबोटिक म्यूल पर छह कैमरे और सेंसर लगाए गए हैं। तीन साल पहले इसे भारत में लाया गया था। इसका वजन 52 किलाेग्राम तक होता है, जो दस किलोग्राम तक का भार उठा सकता है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि इन अत्याधुनिक तकनीकों से लेस उपकरणों को भारतीय सेना के साथ जोड़ने के बाद सेना की ताकत बढ़ गई है व हमारी सीमाएं और भी ज्यादा सुरक्षित हो गई हैं

इन्हें खासतौर से ऐसी जगहों के लिए बनाया गया है, जहां इंसानों की पहुंच आसान नहीं है और खराब मौसम वाली जगहों पर भी इसे रखा जा सकता है। इस रोबोटिक म्यूल का प्रयोग इन दिनों इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भी किया जा रहा है। वहीं, ड्रोन प्रदर्शनी में गोरखा रेजिमेंटर सेंटर की ओर से तैयार किए गए ड्रोन भी प्रदर्शित किए गए। इस ड्रोन को भारतीय सेना के जवान ने खुद तैयार किया है।

सैन्य अफसरों ने बताया कि एफपीवी ब्लैक कैट ड्रोन बनाया गया है। यह 80 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से 20 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसके अलावा बहादुर ड्रोन पांच किमी रेंज तक उड़कर इस दौरान की पूरी वीडियो की लाइव फीड देता है। इससे रेकी में मदद मिलती है। यह ड्रोन ऐसे तैयार किए गए हैं, उसका कोई उपकरण टूटने पर सेना के जवान कुछ घंटे में उसे तैयार कर उसे दोबारा लगा सकते हैं।

ड्रोन टेक में आए ड्रोन मैन ऑफ इंडिया के मिलिंद राज ने कहा कि ड्रोन रक्षा के क्षेत्रों में परिवर्तनकारी प्रभाव डालते हैं। उत्तराखंड से पहाड़ी राज्य की अचूक निगरानी के लिए सरकार के साथ मिलकर कार्य किए जाएंगे। उत्तरकाशी में हुए सिलक्यारा टनल हादसे के दौरान भी ड्रोन तकनीक के जरिए 41 मजदूरों की निगरानी की गई थी। कहा कि सर्च और रेस्क्यू के लिए ड्रोन बहुत जरूरी है। सिलक्यारा टनल जैसे हादसे ने हम सबको बताया कि जिंदगी बचाने के लिए तकनीक कितनी जरूरी है।

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular