- केंद्र-राज्य एक रथ के दो पहिये, तालमेल जरूरी
- समस्याओं और सुझावों पर दो दिन साथ-साथ बैठे केंद्र और राज्य के मंत्री-अफसर
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का चिंतन शिविर संपन्न
- 34 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व, 19 मंत्री हुए शामिल
केंद्र और राज्य एक रथ के दो पहिये हैं। रथ तभी तेजी से दौडे़गा, जब दोनों पहिये सही होंगे। इसलिए तालमेल जरूरी है। दो दिनी चिंतन शिविर के समापन के मौके पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार के संबोधन की यह पंक्तियां इस राष्ट्रीय आयोजन के उद्देश्य को प्रभावी ढंग से समझा गईं। यह भी स्पष्ट हो गया कि वंचित तबके की मजबूती का राज आखिर कहां छिपा है।
चिंतन शिविर के दूसरे दिन 19 राज्यों के मंत्रियों ने अपने-अपने प्रदेशों से संबंधित विषयों को उठाया। केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार और केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा की मौजूदगी में केंद्रीय सचिव अमित यादव ने मंत्रियों को उपयुक्त जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया। केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने भी अपने संबोधन में तमाम विषयों को छुआ। उन्होंने कहा कि राज्यों के लिए उनके मंत्रालय के दरवाजे हर समय खुले हैं।
उत्तराखंड समेत कई राज्यों की मिली तारीफ
केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में राज्यों की जमकर हौसला अफजाई की, लेकिन कमियां गिनाने से भी वह नहीं चूके। उन्होंने उत्तराखंड समेत कई राज्यों की तारीफ की। नमस्ते योजना केे क्रियान्वयन के संबंध में उन्होंने चंडीगढ़ व केरल की पीठ थपथपाई, तो ट्रांस जेंडर कल्याण योजना के लिए तेलगांना को शाबासी दी। बिहार की भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान, मध्य प्रदेश व गुजरात की ओबीसी व घुमंतु जाति के उत्थान के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर सराहना की। उत्तराखंड में नशामुक्ति अभियान के लिए किए जा रहे प्रयासों पर मंत्री ने खुशी जताई।