Wednesday, June 18, 2025
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ईडी की कार्रवाई से पहले दून के भगोड़े बिल्डर ने 25 करोड़ का बंगला रिश्तेदार को 5 करोड़ में बेचकर की साजिश

देहरादून : पुष्पांजलि इंफ्राटेक की आर्किड पार्क परियोजना के नाम पर फ्लैट खरीदारों के 45 करोड़ रुपए लेकर फरार बिल्डर दीपक मित्तल का एक और खेल पकड़ में आता दिख रहा है। पत्नी राखी मित्तल के साथ वर्ष 2020 के अंत में फरार होने से पहले दीपक मित्तल ने अपना एक आलीशान बंगला करीबी रिश्तेदार को महज 05 करोड़ रुपए में बेच दिया था।अब यही बंगला दून के बाजार में न सिर्फ बेचने के लिए उतारा गया है, बल्कि इसकी कीमत 25 करोड़ रुपए मांगी गई है।

महज पांच साल में 05 करोड़ रुपए के बंगले की कीमत 25 करोड़ रुपए हो जाने को लेकर तमाम सवाल फिजाओं में तैर रहे हैं। माना जा रहा है कि फरारी से पूर्व बंगला बेचना महज ट्रांजेक्शन को घुमाना हो सकता है। संभव है कि अब बंगले को बेचने के बाद भी उसका पैसा उसी ट्रांजेक्शन से कहीं और पहुंच जाए। ऐसे में इस बिक्री के सभी पहलुओं की जांच आवश्यक है।

दरअसल, जब बिल्डर दीपक मित्तल निवेशकों के करोड़ों रुपए लेकर फरार हुआ तो उसके बाद ईडी ने न सिर्फ आर्किड पार्क परियोजना को अटैच कर दिया, बल्कि दीपक मित्तल के निजी फ्लैट भी अटैच कर दिए। यह बंगला ईडी की निगाह से इसलिए छूट गया, क्योंकि इसे पहले ही किसी अन्य को बेचा जाना दिखा दिया गया था।

इस बंगले को देहरादून प्रापर्टी क्लब की ओर से बिक्री के लिए उतारा गया है। बंगले के विज्ञापन के रूप में अलग अलग एंगल से कई तस्वीरों को भी साझा किया गया है। बंगले की बिक्री किए लिए इसकी तस्वीरें सहस्रधारा रोड प्रॉपर्टीज फेसबुक ग्रुप पर भी साझा की गई हैं। यह बंगला करीब दो बीघा भूमि पर बना है। यहां जमीन ही बाजार दर से पांच करोड़ रुपए से कहीं अधिक है। ऐसा में सवाल उठ रहे हैं कि कहीं दीपक मित्तल से फरार होने से पहले जानबूझकर तो इसे पहल पांच करोड़ रुपए में नहीं बेचा।

ताकि ईडी या अन्य जांच एजेंसी इसे अटैच न कर पाए। अब जब ईडी में मामले की जांच करते हुए लंबा समय हो गया और बंगले में हाथ नहीं डाला गया तो इसे चुपचाप से एक प्राइवेट ग्रुप के माध्यम से सेल पर डाल दिया गया। ताकि ईडी के साथ ही पुलिस और एसटीएफ की आंखों में धूल झोंकी जा सके।

ठेकदार के खाते में 3.5 करोड़ डाले, फिर पत्नी के खाते में लिए वापस

राजपुर रोड स्थित दीपक मित्तल के बंगले की पूर्व में महज 05 करोड़ रुपए की बिक्री को सिर्फ ट्रांजेक्शन घुमाने का खेल इसलिए भी माना जा रहा है, क्योंकि पूर्व में भी मित्तल इस तरह के कारनामे कर चुका है। मित्तल के फरार होने से पूर्व जब सब कुछ ठीक था और पुष्पांजलि इंफ्राटेक की आर्किड पार्क परियोजना पर काम गतिमान था, तब भी 3.5 करोड़ रुपए घुमाए गए थे।

परियोजना में काम कर चुके ठेकेदार शरद कुमार अग्रवाल में पीएमएलए कोर्ट (जिला जज) के समक्ष 03 जून को बयान दर्ज कराते हुए कहा कि उन्होंने परियोजना में 17500 वर्गफीट निर्माण पूरा कर लिया था। जिसके एवज में उन्हें करीब 13.12 करोड़ रुपए मिलने थे। इसमें से कंपनी ने 9.75 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया था।

इसके बाद कंपनी ने उनके खाते में 3.5 करोड़ रुपए ट्रांसफर करवाए, लेकिन उसी दिन दीपक मित्तल के कहने पर यह राशि उनकी पत्नी राखी मित्तल के व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर कर दी। जिसमें स्पष्ट किया गया कि राशि कंपनी के खाते से जारी हुई थी, जो वापसी के रूप में राखी मित्तल के निजी बैंक खाते में गई। ठेकेदार ने कोर्ट के समक्ष यह भी बयान दिए कि वह कंपनी के दूसरे निदेशक राजपाल वालिया को नहीं जानते हैं। कंपनी के समस्त कार्य दीपक मित्तल की ओर से ही किए जा रहे थे।

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