Thursday, June 19, 2025
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पर्यटन सर्किट से जोड़ा जायेगा पैठाणी का राहु मंदिरः डॉ. धन सिंह रावत

*पर्यटन सर्किट से जोड़ा जायेगा पैठाणी का राहु मंदिरः डॉ. धन सिंह रावत*

*पौड़ी सांसद अनिल बलूनी के साथ किये राहु मंदिर के दर्शन*

*कहा, धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर*
पौड़ी/देहरादून,
राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत एवं गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने शुक्रवार को थलीसैंण विकासखंड के पैठाणी गांव स्थित विश्व प्रसिद्ध राहु मंदिर के दर्शन किये। यह मंदिर राहु देवता को समर्पित विश्व का एकमात्र मंदिर माना जाता है, जो धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोनों नेताओं ने मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि पैठाणी स्थित यह राहु मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह क्षेत्र के पर्यटन विकास की दृष्टि से भी अत्यंत संभावनाशील है। उन्होंने घोषणा की कि इस मंदिर को उत्तराखंड के पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को यहां आने में सुविधा होगी और पर्यअन के लिहाज से क्षेत्र का भी विकास हो सकेगा। डॉ. रावत ने जिलाधिकारी को इस संबंध में शीघ्र प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये, ताकि मंदिर क्षेत्र में आवश्यक आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जा सके।

गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि राहु मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां देशभर से हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष दर्शन के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर तक पहुँचने वाले मार्गों, विश्राम स्थलों एवं अन्य सुविधाओं को बेहतर बनाने हेतु हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। सांसद बलूनी ने यह भी कहा कि वह स्वयं भी संसदीय एवं व्यक्तिगत स्तर पर इस पवित्र स्थल के विकास में योगदान देंगे।

दोनों जनप्रतिनिधियों की इस पहल से स्थानीय लोगों में धार्मिक व पर्यटन को बढ़ा मिलने की उम्मीद जगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राहु मंदिर को विश्व पटल पर पहचान मिलने से क्षेत्र में पर्यटन को भी पंख लगेंगे और स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा और स्थानीय उत्पादों को भी खरीददार मिल सकेंगे। लोगों ने उम्मीद जताई कि राहु मंदिर जल्द ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा।

*राहु मंदिर की धार्मिक मान्यता*
मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था। इस मंदिर को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इसका निर्माण पांडवों ने किया। जब पांडव स्वर्गारोहिणी यात्रा पर थे तब राहु दोष से बचने के लिए पांडवों ने भगवान शिव और राहु की पूजा की थी और उन्होंने इस मंदिर को स्थापित किया होगा।

इस मंदिर में राहु के साथ शिवजी की पूजा भी की जाती है। दरअसल, इस मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है। मंदिर की दीवारों पर राहु के कटे सिर के साथ-साथ भगवान विष्णु के सुदर्शन की कारीगरी भी की गई है। ऐसी मान्यता है की भगवान विष्णु द्वारा राहु का सिर काटे जाने के बाद यहां पत्थरों के नीचे राहु का सिर दबा हुआ है। लोगों का मानना है की यहां पूजा करने से राहु दोष से मुक्ति मिलती है।

 

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