Thursday, June 19, 2025
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डीएम ने कसा 20 बड़े प्रतिष्ठानों पर शिकंजा, दिव्यांगों के नाम पर करोड़ों का फंड लेकर मुहं मोड़ने पर बैठाई जांच

जिलाधिकारी (डीएम) सविन बंसल ने दिव्यांग और असहाय बच्चों के नाम पर करोड़ों रुपये का फंड लेने वाले 20 नामी-गिरामी प्रतिष्ठानों पर शिकंजा कस लिया है। ये प्रतिष्ठान दिव्यांगों के नाम पर करोड़ों रुपये का फंड तो ले लेते हैं, लेकिन जब बात असल जिम्मेदारी निभाने की आती है तो मुहं मोड़ने में जरा भी समय नहीं लगाते। अब जिलाधिकारी ने मनमर्जी पर उतारू ऐसे 20 प्रतिष्ठानों पर जांच बैठा दी है। इसके लिए 03 जिला स्तरीय अधिकारियों की कमेटी बनाई गई है, जो 16 बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट देगी। जिलाधिकारी के इस आदेश के बाद प्रतिष्ठानों में हड़कंप की स्थिति है।

जिलाधिकारी सविन बंसल ने दिव्यांग और असहाय बच्चों के कल्याण से जुड़े प्रतिष्ठानों की मनमर्जी पर कहा कि मानवीय सेवा केंद्रों को व्यवसाय का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में कुछ मानसिक दिव्यांग बालिकाओं को दाखिला देने की जरूरत पड़ी तो सभी ने एक एक कर हाथ खींच लिए। यहां तक कि संस्थानों ने जिला समाज कल्याण अधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी के निर्देश भी मानने से इंकार कर दिए। इस पर जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को भी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपनी शक्तियों को पहचानें। वह मुहर लगाने और हस्ताक्षर तक सीमित न रहें। जिलाधिकारी ने साफ किया कि दिव्यांग और असहाय बच्चों के अधिकारों का हनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पंजीकरण के समय बड़े दावे और धरातल पर गायब, अब पंजीकरण होगा निरस्त
जिला प्रशासन के संज्ञान में विभिन्न माध्यम से यह बात भी सामने आई कि जिन संसाधन, स्टाफ, चिकित्सक, शिक्षक और विशेषज्ञ पंजीकरण के दौरान दर्शाए जाते हैं, वह स्थिति धरातल से गायब रहती है। लिहाजा, समाज कल्याण में पंजीकरण के लिए पूरी सत्यता का परीक्षण आवश्यक है। क्योंकि, ये संस्थान असहाय बच्चों की सहायता के लिए राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार और विदेश से भी फंडिंग प्राप्त करते हैं। जिलाधिकारी दो टूक कहा कि अब मनमर्जी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीधे पंजीकरण निरस्त किए जाएंगे।

एक हस्ताक्षर करोड़ों का फंड दिला सकता है, एक ताला भी लगवा सकता है
जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अपनाते हुए यह भी कहा कि जिस सरकारी हस्ताक्षर के बूते ये संस्थान करोड़ों रुपए की फंडिंग प्राप्त करने में सक्षम हो पाते हैं, वहीं हस्ताक्षर इनमें ताले भी लगवा सकता है।

इन संस्थानों की होगी जांच
बजाज इंस्टीट्यूट आफ लर्निंग राजपुर रोड, लतिका राय फांउडेशन वसंत विहार, भरत मंदिर स्कूल सोसाइटी ऋषिकेश, रफैल राईडर चशायर इंटरनेशनल सेंटर मोहनी रोड, अरूणिमा प्रोजेक्ट विद आटिज्म यूनिट आफ द गेटवे ग्राम सिनोला, यशोदा फांउडेशन डोईवाला, एमडीआरएस तपोवन, मुशीसभा सेवा सदन एवं पुनर्वास हरबर्टपुर, दिव्य एजुकेशन सोसाइटी नींबूवाला, डिस्लेक्सिया सोसाइटी आफ उत्तराखण्ड राजपुर रोड, सेतु संस्था डालनवाला, हरबर्टपुर क्रिश्चियन हास्पिटी सोसाइटी हरबर्टपुर, चशायर होम्स इंडिया डालनवाला, वसुंधरा मानव कल्याण संस्था देहरादून, लर्निंग ट्री विशेष बच्चों का विद्यालय धर्मपुर, नन्ही दुनिया मूक बधिर विद्यालय कालीदास रोड, आशा स्कूल गढी कैंट, आशोनिक वेलफेयर सोसाइटी के अंतर्गत सशक्त स्पेशल स्कूल बालावाला देहरादून, नंदा देवी निर्धन दिव्यांग कल्याण एसोसिएशन देहरादून।

इन अफसरों को जांच का जिम्मा
जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक)
जिला समाज कल्याण अधिकारी
जिला प्रोबेशन अधिकारी

इन बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट तलब
1. संस्था का प्रकार।
2. सस्था का संगठन का नाम व पता।
3. संस्था का पंजीकरण किस अधिनियम एवं पंजीकरण की अवधि/वैधता।
4.संस्था का उददेश्य। (यथा-दिव्यांगजनों का उपचार, उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण की सुविधा, रोजगार के अवसर प्रदान कराना, पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराना, सहायक उपकरण उपलब्ध करवाना आदि)
5. आरपी डब्ल्यूडी एक्ट में पंजीकरण है या नहीं।
6. संस्था में दिव्यांगजनों के पंजीकरण के समय दिव्यांगजनों हेतु आवासीय स्थिति का दावा किया गया था या डे बोर्डिंग का दावा किया गया गया था, की वास्तिविक स्थिति।
7. संस्था में निवासरत/अध्ययन दिव्यांगजनों को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाएं।
8. निश्शुल्क सुविधा प्रदान की जाती है या कितनी धनराशि ली जाती है का विवरण।
9. संस्था की क्षमता व आयुवर्ग की संख्या। पंजीकरण के समय कितना दावा किया गया था तथा वास्तविकता में कितना पाया गया है। (आवासीय छात्रावास /डे-केयर पृथक-पृथक)
10. संस्था द्वारा समाज कल्याण विभाग में पंजीकरण के समय कितने एवं किस प्रकार के पेशेवर/विशेषज्ञ एवं कार्मिकों का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। निरीक्षण के समय उपरोक्तानुसार कार्मिक पाए गए अथवा नहीं।
11. संस्था के पास दिव्यांग व्यक्तियों की विभिन्न श्रेणियों के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, अनुभवी और अर्ह कर्मचारी वर्ग, तकनीकी व्यवहार ज्ञान, भवन आवास सुविधा, फर्नीचर, उपस्कर, स्वच्छता और आमोद-प्रमोद की सुविधाएं उपलब्ध है या नहीं, का विवरण।
12. लड़कियों के लिए आवासीय परिसर यदि कोई हो, तो लड़कों के आवासीय परिसर से पृथक है या नहीं।
13. संस्था द्वारा विगत तीन वर्षों में क्या-क्या कार्य किए गए एवं उनको वित्तीय सहायता किन-किन स्रोत से से कितनी धनराशि प्राप्त हुई है का विवरण।
14. आरसीआइ में स्टाफ का रजिस्ट्रेशन।
15. दिव्यांग का प्रकार (किस प्रकार के बच्चों के साथ काम करते है)
16. संस्था की क्षमता के सापेक्ष कितने व्यक्ति/बच्चे संस्थागत हैं।

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