Thursday, June 19, 2025
Google search engine
Homeराज्य समाचारउत्तराखण्डBKTC का नया अध्यक्ष बनते ही पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय का फेसबुक...

BKTC का नया अध्यक्ष बनते ही पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय का फेसबुक पर आया पोस्ट, कह डाली बड़ी बात

#जय_श्री_केदार #जय_बदरी_विशाल प्रदेश सरकार द्वारा श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) में अध्यक्ष नियुक्त किए गए श्री हेमंत द्विवेदी, उपाध्यक्ष गण श्री विजय कप्रवान व श्री ऋषि प्रसाद सती को बहुत – बहुत बधाई और अनंत शुभकामनाएं। आशा की जानी चाहिए कि सभी वरिष्ठ महानुभावों के नेतृत्व में बीकेटीसी नए मील के पत्थर तय करेगी। जिस प्रकार से प्रतिवर्ष श्री केदारनाथ और श्री बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है और देश – विदेश के श्रद्धालु हमारे धामों की ओर रुख कर रहे हैं, उस अनुरूप उनकी यात्रा सुगम, सुरक्षित और मंगलमयी हो यह सुनिश्चित करना करना बीकेटीसी व प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा विगत तीन यात्रा काल में इस जिम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन भी किया गया है। अध्यक्ष के रूप में अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में मेरे द्वारा भी यात्रा व्यवस्थाओं में सुधार के साथ ही बीकेटीसी की कार्यप्रणाली और ढांचे में समयानुकूल परिवर्तन के लिए हर संभव प्रयास किए गए।

अंग्रेज शासनकाल में वर्ष 1939 में गठित बीकेटीसी में कार्मिकों के लिए किसी प्रकार की सेवा नियमवाली का अभाव था। इस कारण मंदिर समिति में नियुक्तियों में पारदर्शिता का अभाव तो रहता ही था। इसके साथ ही कार्मिकों की प्रोन्नति व वेतन वृद्धि आदि जैसे प्रकरणों में विसंगति भी पैदा होती थी। मैंने प्रयत्न पूर्वक धार्मिक परम्पराओं, मान्यताओं और संवैधानिक पहलुओं का समन्वय स्थापित कर सेवा नियमवाली तैयार कराई। कुछ विघ्न संतोषियों ने इसमें बाधा डालने का दुष्प्रयास किया। मगर मैंने विरोध की अनदेखी कर इसे प्रदेश कैबिनेट से पारित करा लिया।

बीकेटीसी जैसी बड़े संस्थान में पूर्व में वित्त अधिकारी का पद नहीं था। वित्तीय पारदर्शिता व वित्तीय प्रबंधन के लिए वित्त अधिकारी की नियुक्ति को आवश्यक समझते हुए शासन से वित्त अधिकारी का पद सृजन कराते हुए इस पर प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी की तैनाती की गई। वित्त अधिकारी की नियुक्ति का परिणाम भी सकारात्मक रहा। वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता के चलते मंदिर समिति की आय में तीन से चार गुना तक वृद्धि हुई।

मंदिर के काम काज में मितव्ययता पर जोर दिया गया गया। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र आदि में स्थित संपत्तियों के संरक्षण के लिए प्रयास किए गए। मंदिरों के जीर्णोद्वार व सौंदर्यीकरण की कई योजनाओं पर कार्य किया गया। धर्मशालाओं का उच्चीकरण आदि के लिए भी प्रयास किए गए। मंदिर समिति की तमाम व्यवस्थाओं में संशोधन और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था कायम करने के लिए कई सुधारवादी कदम उठाए गए।

मगर मंदिरों में दीमक की तरह लगे कुछ स्वार्थी तत्वों ने व्यवस्थाओं में सुधार व संशोधन के प्रयासों में कई विघ्न डाले। व्यक्तिगत रूप से मेरे विरोध के लिए तमाम हथकंडे अपनाए गए। श्री केदारनाथ धाम के गर्भ गृह में सोने की परतें चढ़ाने के प्रकरण में तथ्यहीन व भ्रामक आरोप – प्रत्यारोप किए गए। जबकि सोना प्रकरण में मंदिर समिति अथवा मेरी भूमिका बहुत सीमित थी। मुंबई के एक दानीदाता लाखी परिवार द्वारा स्वयं के ज्वैलर्स के माध्यम से लगाया गया।

सोना लगाने का कार्य प्रदेश शासन की स्वीकृति से किया गया। शासन ने दानी दाता के अनुरोध पत्र पर रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी व बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी को इस कार्य के संपादन की जिम्मेदारी सौंपी। यह सारा कार्य तत्कालीन मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु, पर्यटन विभाग के विशेष कार्याधिकारी व प्रधानमंत्री के पूर्व सचिव श्री भास्कर खुल्बे जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के पर्यवेक्षण और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग व बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी की देखरेख में संपन्न हुआ। स्वर्ण मंडित प्लेटों को शासन द्वारा स्वयं अपने पर्यवेक्षण में पुलिस सुरक्षा के साथ वहां पहुंचाया गया।

पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए जाने के बावजूद कुछ लोगों द्वारा राजनीतिक स्वार्थों के चलते इस प्रकरण में मेरा नाम जोड़ने का दुष्प्रयास किया जाता रहा है। जब इस प्रकरण को लेकर आरोप- प्रत्यारोप लगे थे तो मेरे द्वारा स्वयं सरकार के समक्ष इसकी जांच कराने का अनुरोध किया गया था, ताकि राजनीतिक स्वार्थों के चलते विश्व प्रसिद्ध श्री केदारनाथ धाम की प्रतिष्ठा पर किसी प्रकार की आंच ना आए।

प्रदेश सरकार द्वारा इसके जांच के आदेश दिए गए। जांच संपन्न होने के पश्चात मेरे द्वारा विभिन्न स्तरों पर जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का अनुरोध भी किया गया। मगर मैं खुद अचंभित हूं कि जांच रिपोर्ट को क्यों नहीं जारी किया गया? मेरा प्रयास रहेगा कि यह जांच रिपोर्ट जारी हो, ताकि किसी को भी किसी प्रकार की कोई आशंका नहीं रहे। भविष्य में भी मेरा प्रयास रहेगा कि जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हो।

ऐसा ही एक प्रकरण मंदिर में QR कोड लगाने से संबंधित था। इस प्रकरण में भी विरोधियों ने मुझे घेरने के अथक प्रयास किए। जबकि इस प्रकरण के सामने आने पर मैंने बीकेटीसी के अधिकारियों को तत्काल बदरीनाथ थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए। पुलिस ने शुरुआत में जांच में काफी तत्परता दिखाई। मगर कुछ समय बाद पुलिस निष्क्रिय हो गई। मैंने स्वयं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से निष्पक्ष जांच कर समुचित कार्रवाई के लिए कई बार अनुरोध भी किया। मगर पुलिस की जांच का आज तक पता नहीं चल पाया।

मंदिर समिति से संबंधित कुछ अन्य जांचे भी हैं, जो शासन स्तर पर लंबित पड़ी हैं। जबकि मेरा मत है कि मंदिर जैसे पावन- पवित्र और करोड़ों- करोड़ों सनातनियों की आस्था के केंद्रों में गड़बड़ियों वाले प्रकरणों को पर प्राथमिकता से कार्रवाई की जानी चाहिए। ताकि पवित्र धामों के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था को किसी प्रकार की ठेस नहीं पहुंचे।

तीन वर्ष का कार्यकाल सीमित होता है, जिसमें आपको चीजों को समझने और उसके क्रियान्वय के लिए बहुत तत्परता व प्रशासनिक दक्षता की आवश्यकता होती है। इस दौरान मैंने अपने स्तर से बेहतर करने का प्रयास किया। कई कार्य अधूरे रह गए। मंदिर समिति के अपने सुरक्षा संवर्ग के गठन के लिए प्रदेश शासन से स्वीकृति प्रदान की गई है। इसका क्रियान्वयन होना शेष है। ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर के सौंदर्यीकरण व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी योजना का प्रथम चरण लगभग पूर्णता की ओर है। आगामी चरणों की कार्य योजना तैयार होनी है। श्री तुंगनाथ धाम में सुरक्षात्मक कार्य प्राथमिकता से किए जाने हैं। मुझे आशा और पूर्ण विश्वास है कि नवगठित टीम पूरी ऊर्जा के साथ बीकेटीसी को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाएगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular